Sunday, September 20, 2015

दस्तूर

इन खुदगर्ज शहरों के दस्तूर कुछ ऐसे ही होते हैं यारों...
.
चंद दिनों की खामोशी में यहाँ लोग भुला दिए जाते हैं....

Saturday, September 19, 2015

ख़ैरात

हक़ से दो तो तेरी नफरत भी कुबूल है हमें , खैरात में तो हम तुम्हारी मोहब्बत भी न लें!!!

Tuesday, May 12, 2015

सज़ा

दौर वो आया है
क़ातिल की सज़ा कोई नहीं

हर सज़ा उसके लिए है
जिसकी ख़ता कोई नहीं

पसंद

किसी को अपनी पसंद बनाना कोई बडी बात नहीं...
पर किसी की पसंद बन जाना बहुत बडी बात है.

शायरी

शायरी का बादशाह हुं और कलम मेरी रानी
अल्फाज़ मेरे गुलाम है बाकी रब की महेरबानी

विरासत

चैन रातों को रहत नही मुझे फिर भी उससे शिकयत नही मै  अपना हक़ उस पर जटाउ कैसे वो मेरी चाहत है विरासत नही

इश्क़

इश्क़ वो नहीं जो तुझे मेरा कर दे,
इश्क़ वो है जो तुझे किसी और का ना होने
दे ।

Friday, April 17, 2015

तन्हाई

कितनी अजीब है मेरे अन्दर की तन्हाई भी                                                                    हजारो अपने दोस्त है मगर अपने तुम ही हो

Thursday, April 16, 2015

आँसु

मेरे आँसुओं की नीलमी में शामिल हैं ये ज़माना।
शायद किसी बोली पर बोल दे फ़साना हमारा।।

रिश्ते

"ज़रा सम्भाल कर रखियेगा इन्हें....
ये रिश्ते हैं...
कपड़े नहीं,
कि रफ़ू हो जायें...!"

ठोकर

इतनी ठोकरे देने के लिए शुक्रिया, ए-
ज़िन्दगी. चलने का न सही
सम्भलने का हुनर तो आ गया....!

जिन्दगी

एय मेरी जिन्दगी यूँ मुझसे दगा ना कर,
उसे भुला कर जिन्दा रहू दुआ ना कर,
कोई उसे देखता हैं तो होती हैं तकलीफ,
एय हवा तू भी उसे छुवा ना कर .....

Wednesday, April 15, 2015

बेमौसम बारिश

कितने अजब रंग समेटे है ये बेमौसम बारिश खुद मे...

अमीर पकौड़े खाने की सोच रहा है...

तो किसान जहर...!!!

आशीक

ये "आशीकों" का शहर है जनाब, 
यहाँ सवेरा सुरज से नही किसी के दिदार से होता है !