Sunday, September 17, 2017

जिंदगी

मंज़र धुंधला हो सकता है, मंज़िल नहीं
दौर बुरा हो सकता है, जिंदगी नहीं ।

Thursday, September 14, 2017

रोना

झूठी हँसी से जख्म और बढ़ता गया.

इससे बेहतर था ..खुलकर रो लिए होते..।

Tuesday, September 12, 2017

खटकना

जो दिल मे कभी धडकता था खूब,
आज ना जाने आंखों को खटकता क्यू है।

Sunday, September 3, 2017

बुलंदी

बुलंदियों को पाने की ख्वाहिश भरपूर है पर,
दुसरो को रोंदने का जज़्बा नही ।

Saturday, September 2, 2017

अकड़

*इंसान की अकड़ वाजिब है जनाब*

*पैसे आने पर तो बटुआ भी फूल जाता है...*