इन खुदगर्ज शहरों के दस्तूर कुछ ऐसे ही होते हैं यारों...
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चंद दिनों की खामोशी में यहाँ लोग भुला दिए जाते हैं....
दिल से ज़बा पर आ जाने वाली कुछ वो बातें, जिन्हें दिल ही महसूस कर पता है, उसी पर आधारित है यह ब्लॉग, प्रेरणा है मेरी प्रेमिका ..
Sunday, September 20, 2015
दस्तूर
Saturday, September 19, 2015
ख़ैरात
हक़ से दो तो तेरी नफरत भी कुबूल है हमें , खैरात में तो हम तुम्हारी मोहब्बत भी न लें!!!
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